आँगन में पीपल की छाँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
पीपल पर कौओं की काँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
कोयल की मीठी बोली। पक्के रंगों की होली।
गाँव के कच्चे रस्तों पर, भागे बच्चों की टोली।
और सने मिट्टी में पाँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
हरे-भरे लहराते खेत। पनघट पर सखियों का हेत।
उड़ती अच्छी लगती है, मिट्टी सी सोने की रेत।
पानी में कागज की नाव। हमको प्यारे लगते गाँव।
चोरी से अंबिया लाना। छत पर छुप-छुप कर खाना।
नन्हीं मुनिया जब माँगे, उसे अंगूठा दिखलाना।
माली की मूछों पर ताव। हमको प्यारे लगते गाँव।
बच्चों की लम्बी सी रेल। गिल्ली-डण्डे का वो मेल।
खेतों में पकड़ा-पकड़ी, आँख-मिचौली का वो खेल।
जब आता अपने पे दाँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
पीपल पर कौओं की काँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
कोयल की मीठी बोली। पक्के रंगों की होली।
गाँव के कच्चे रस्तों पर, भागे बच्चों की टोली।
और सने मिट्टी में पाँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
हरे-भरे लहराते खेत। पनघट पर सखियों का हेत।
उड़ती अच्छी लगती है, मिट्टी सी सोने की रेत।
पानी में कागज की नाव। हमको प्यारे लगते गाँव।
चोरी से अंबिया लाना। छत पर छुप-छुप कर खाना।
नन्हीं मुनिया जब माँगे, उसे अंगूठा दिखलाना।
माली की मूछों पर ताव। हमको प्यारे लगते गाँव।
बच्चों की लम्बी सी रेल। गिल्ली-डण्डे का वो मेल।
खेतों में पकड़ा-पकड़ी, आँख-मिचौली का वो खेल।
जब आता अपने पे दाँव। हमको प्यारे लगते गाँव।
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